कावड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली खान – पान की दुकान और अन्य दुकान वालों को भी अपने नाम के साथ कर्मचारियों के नाम लिखने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया था। लेकिन बाद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आदेश पर रोक लगा दी थी। अब एक नई याचिका दर्ज़ कराई गईं है जो नाम प्लेट लगाने के समर्थन में है और इसमें कहना हैं की जान बूझ कर इस मुद्दे को सियासी रंग दिया जा रहा है। जिससे याचिका ने एक बार फिर सबका ध्यान इस मुद्दे पर खींचा है।
क्या था नाम प्लेट का मामला ?
पिछले हफ्ते मुजफ्फर नगर पुलिस द्वारा कावड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले सभी दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया गया था। उत्तरप्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार ने ये आदेश लागू कर दिया गया था।
और इसका उद्देश्य तीर्थ यात्रियों को की पवित्रता को और उनकी व्यवस्था और कानून व्यवस्था को ध्यान मे रखते हुए लिया गया था। लेकिन विपक्षी दलों द्वारा इसे सियासी मुदा बनाकर माइनोरिटी के खिलाफ दिखाया गया और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहोंचे गया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले रोक लगा दी गई और सुनवाई करते हुए कहा की अगली सुनवाई तक कोई भी जबरदस्ती से नेमप्लेट नही लगवा सकता ये सिर्फ और सिर्फ स्वैच्छिक होना चाहिए मैंडोटरी नही, तब विपक्षी दल द्वारा कहा गया की ये जबरदस्ती लगवा रहे है और आदेश न मानने वाले पर कार्यवाही कर रहे है तब सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जता कर इस मामले पर रोक लगा दी गई हैं।
क्या है नही याचिका ?
अब नेमप्लेट के समर्थन में सुरजसिंह यादव द्वारा दर्ज की गईं हैं उसने इस बात का समर्थन करते हुए कहा है की ये आदेश शिव भक्तो के हित के लिए उनकी आस्था, उनकी सुविधा और कानून व्यस्था को बनाए रखने के लिए लिया गया था। इससे दुकानदारों को कोई समस्या नहीं थी लेकिन विपक्षी पक्षों द्वारा इसे जबरदस्ती सियासी मुद्दा बनाया जा रहा है और मुद्दे से भटकाया जा रहा है। और उनका पक्ष सुनने को मांग की है।
विश्व हिंदू परिषद का क्या कहना है ?
VHP के महासचिव का कहना है की उत्तरप्रदेश सरकार के निर्देश पर जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है जिससे हिंदू समुदाय, श्रद्धौलू, और कावड़ यात्रा करने वाले लोगों का मनोबल गिरा है।